Thursday, January 2, 2020

New year poem

मेरी नई कविता नये साल पे

चला गय़ा 2019 धीरे -2
सिकवे शिकायत रह गये अधूरे -2||
कितनो के कुछ सपने पुरे हुये
तो कितनो के सपने रह गये अधूरे ||
क्या भाग दौड़ है ज़िन्दगी मे
साल बित गया यू ही भागा-दौड़ी मेँ ||
कोई हमे छोड़ कर विदा हुआ इस दुनिया से
तो किसी ने हमे गले लगाया आकर इस दुनिया में ||
किसी ने अपनी नई ज़िन्दगी की शुरुआत की
तो कोई गमगिन बैठा था किसी के इंतजार में ||
अब आगमन हो रहा है 2020 का
नये ज़ोश और विस्वाश का |
हम ये ख्वाहिश करते हैं कि
हमे मिलेगा जो हम चाहते है इस साल मे|||

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