Abhinandan Ka abhinandan |
'अभिनन्दन ' का अभिनन्दन हुआ ,
जय घोष के नारों से |
छूटा पाकिस्तान छूक गया ,
अपने ही देश के गद्दारो से |
लौटाना पड़ा अभिनन्दन को ,
हिन्दुस्तान के कूटनीति चालो से |
हम तुम्हें बेनक़ाब करेंगे ,
अंतर्राष्टीय स्तर के मंचों से |
अलग़ -थलग पड़ जाओगे ,
अपने ही घटिया चालो से |
फिर भी अगर नहीं माने ,
कर देंगे नेस्तनाबूत ,
इस दुनिया के नक़्शे से |
सुधर जाओ तुम पाकिस्तान ,
वर्ना बहुत पछताओगे |
क्या रखा है इस आतंकवाद में ,
आगे बड़ो पंचशील के सिंद्धान्तो से ||
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